कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की जिम्मेदारी इस भारतीय वैज्ञानिक को दी गयी

कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की जिम्मेदारी इस भारतीय वैज्ञानिक को दी गयी

सेहतराग टीम

दुनियाभर में कहर मचा रहे कोरोना वायरस को लेकर एक राहत भरी खबर है। ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के वैज्ञानिक एसएस वासन के नेतृत्व वाली टीम कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने के करीब है।

पढ़ें- सिर्फ 15 सेकेंड में कोरोना वायरस की चपेट में आ गया यह शख्स

ऑस्ट्रेलिया में कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन की एक अति सुरक्षित प्रयोगशाला में वासन के देखरेख में इस पर रिसर्च जारी है। ऑस्ट्रेलिया के डॉर्टी इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने हाल में एक व्यक्ति के सैंपल से मिले वायरस को अलग करने में सफलता पाई है। इस सैंपल की मदद से वैज्ञानिक जांच कर रहे हैं। एसएस वासन ने बताया कि इस सैंपल से न केवल टीके की खोज हो जाएगी, बल्कि मेडिकल क्षेत्र में इससे तेजी से विकास होगा। 

चीन के स्वास्थ अधिकारियों ने शुक्रवार को जानकारी दी कि इस रिसर्च का उद्देश्य कोरोना वायरस को ठीक से समझना है कि ये किस तरह विकसित होता है और किस तरह सांस की नली पर असर डालता है। दरअसल, कोरोना वायरस विषाणुओं का एक बड़ा समूह है लेकिन इनमें से केवल छह विषाणु ही लोगों को संक्रमित करते हैं। इसके सामान्य प्रभावों के चलते सर्दी-जुकाम होता है।

पढ़ें- अगर शरीर में ये बदलाव दिखें तो समझें कि आप हो चुके हैं कोरोना वायरस के शिकार

कौन हैं भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर वासन?

प्रोफेसर वासन बिट्स पिलानी और आईआईएससी के छात्र रह चुके हैं। उन्होंने ऑक्सफॉर्ड के ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ाई की है। प्रोफेसर वासन ने जीका वायरस, चिकनगुनिया और डेंगू आदि के टीक की खोज के लिए भी काम किया है।

क्या है कोरोना वायरस?

कोरोना असल में वायरसों का एक बड़ा समूह है जो जानवरों में आम है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीएस) के अनुसार, कोरोना वायरस जानवरों से मनुष्यों तक पहुंच जाता है। नया चीनी कोरोनो वायरस, सार्स वायरस की तरह है। इसके संक्रमण से बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएं हो जाती हैं। यह न्यूमोनिया का कारण भी बन सकता है। इसकी स्थिति मिडल ईस्ट रेस्पाइरेट्री सिंड्रोम (एमईआरएस) और सेवल एक्युट रेस्पाइरेट्री सिंड्रोम (सार्स) से काफी मिलती जुलती है।

हांगकांग विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वायरोलॉजिस्ट लियो पून, जिन्होंने पहले इस वायरस को डिकोड किया था, उन्हें लगता है कि यह संभवतः एक जानवर में शुरू हुआ और मनुष्यों में फैल गया।

पढ़ें- कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं है, केवल ये सावधानियां ध्यान रखें

कैसे फैलता है?

WHO के मुताबिक कोरोना वायरस ( CoV ) एक जूनोटिक है। इसका मतलब है कि यह 2019-nCoV के जरिए जानवरों से मानव में फैला है। माना जा रहा है कि 2019-nCoV सीफूड खाने से फैला था। लेकिन अब कोरोना वायरस मानव से मानव में फैल रहा है। यह कोरोना वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है। खांसी, छींक या हाथ मिलाना जोखिम का कारण बन सकता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के छूने और फिर अपने मुंह, नाक या आंखों को छूने से भी वायरस का संक्रमण हो सकता है।

(साभार- हिन्दुस्तान)

 

इसे भी पढ़ें-

कोरोना वायरस से इस उम्र के लोग हो रहे हैं ज्यादा प्रभावित, ये है वजह

कोरोना वायरस के 'हाई रिस्क' वाले 30 देशों में भारत भी शामिल, जानें देश को कितना खतरा

पेट की कई बीमारियों का बेस्ट इलाज है 'गोरक्षासन'

कभी-कभी प्रग्नेंसी रिपोर्ट के परिणाम आ जाते हैं गलत, जानें क्यों और 5 कारण

बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत निकलने की यह है वजह, जानें क्या है इलाज और पूरी प्रक्रिया

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।